(Image Courtsey: http://www.desipainters.com)
Would like to share one of his dialogues, which makes everyone to think about their life (Incidentally, I too realised it recently)
आप, आप क्या जाने मुझको समझते हैं क्या?
मैं तो कुछ भी नहीं!
इस कद्र प्यार इतनी बड़ी भीढ़ का रखूंगा कहाँ ?
इस क़द्र प्यार रखने के काबिल नहीं मेरा दिल मेरी जान।.....
प्यार... प्यार एक शख्स का भी अगर मिल सके तो बड़ी चीज़ हैं ज़िंदगी के लिए
आदमी को मगर ये भी मिलता नहीं; ये भी मिलता नहीं!...
मुझको इतनी मोहब्बत मिली हैं आपसे...
मुझको इतनी मोहब्बत मिली हैं आपसे...
ये मेरा हख नहीं मेरी तकदीर हैं।
मैं ज़माने की नज़रों मे कुछ भी नहीं था...हैं।
मैं ज़माने की नज़रों मे कुछ भी नहीं था...
मेरी आँखों मैं अब तक वोह तस्वीर हैं।..
इस मोहब्बत के बदले, मैं क्या नज़र दूं? मैं तो कुछ भी नहीं
इज्ज़तें, शोहरतें, चाहतें, उल्फतें
कोई भी चीज़ दुनिया मैं रहती नहीं
इज्ज़तें, शोहरतें, चाहतें, उल्फतें
कोई भी चीज़ दुनिया मैं रहती नहीं
आज मैं हूँ जहां कल कोई और था।...
आज मैं हूँ जहां कल कोई और था।...
ये भी एक दौर हैं वोह भी एक दौर था
आज इतनी मोहब्बत न दो दोस्तों...
आज इतनी मोहब्बत न दो दोस्तों...
के मेरी कल की खातिर न कुछ भी रहे
आज का प्यार थोढ़ा बचाके रखो मेरे कल के लिए
कल - कल जो गुमनाम हैं... कल जो सुनसान हैं
कल जो अनजान हैं कल जो वीरान हैं
मैं तो कुछ भी नहीं हूँ!
मैं तो कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी कैसी हैं पहेली हाय!
कभी तो हसाए, कभी ये रुलाये!
कही दूर जब दिन ढल जाए...
ज़िन्दगी और मौत ऊपरवाले के हाथ में हैं जहाँपना
वो शाम कुछ अजीब थी
अगर तुम न होते
क्या जानू सजन
चिंगारी कोई बढके
& Finally,
आनंद मरा नहीं। आनंद मरते नहीं
No comments:
Post a Comment